लव-जिहाद का जुमला तेजी से हमारे राष्ट्रीय विमर्शो में अपनी जगह बनाता जा रहा है, इसका कारण तथाकथित लव-जिहाद को लेकर रह-रहकर होने वाली घटनाएं है। ताजा घटना मेरठ में घटी जहां एक व्यक्ति को लव जिहाद के मामले में आरोप में पुलिस के सामने पीटा गया। इससे पहले दिल्ली में आयोजित पुस्तक मेले में लव जिहाद को बयां करने वाली पुस्तक 'एक मुखोटा ऐसा भी' बिकने के लिए आई थी, इस पुस्तक में लव जिहाद को लेकर बयां करने वाली सच्ची कहानियों का वर्णन है।
लव-जिहाद का अर्थ है की किसी मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए गैर-मुस्लिम युवतियों को इस्लाम अपनाना होगा। हाल ही में पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम मोहम्मद मजदूर अफरजुल की राजस्थानी हुई खौफनाक हत्या ने 'लव-जिहाद' को एक व्यापक स्तर पर चर्चा में लाने का काम किया। राजस्थान के राजसमंद जिले में शंभू लाल रैगर ने न केवल अराफजूल की हत्या की बल्कि उसके शरीर को आग की भेंट चढ़ा दिया, क्योंकि उसकी नजर में अराफजूल 'लव-जिहाद' में लगा हुआ था। केरल की लड़की हदिया के मामले को भी लव-जिहाद की मिसाल बताया जा रहा है, जहा उसे मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए धर्मांतरण करना पड़ा था। Read Love-Jihad on Wikipedia
पिछले कुछ महीनों में इस मामले की इतनी घटनाये सामने आयी की, 'लव-जिहाद' का मामला सुप्रीम-कोर्ट तक पहुंच गया। अब तमाम गैर-मुस्लिम परिवार इस मामले को लेकर चिंतित हुए जा रहे है। ऐसे में कुछ अहम् सवाल खड़े होते है,की क्या लव जिहाद विस्तव में एक सही अभी व्यक्ति है ? क्या वह भारतीय सभ्यता में इस तरह बेदखली कर सकता है, क्या यह भरिया समाज का तना बना बिगड़ सकता है?
लव-जिहाद का ईजाद केरल की धरती पर, ईसाई समूह ने किया जो मुस्लिम युवको से शादी करने के लिए इच्छुक युवतियों से चिंतित थे। अभी तक हमने जिहाद के दो ही रूप देखे थे। जिहाद का अर्थ मुस्लमान उस प्रतिक्रिया के रूप में लेते थे जब कोई व्यक्ति भ्रस्ट और बुरी शक्ति के प्रभाव से अपनी रूह को पाक करने के लिए निजी स्तर पर संघर्ष करता था। कुछ मुस्लमान, गैर-मुस्लिमो के खिलाफ धर्मयुद्ध को भी जिहाद का नाम दे देते थे। कुछ इस्लामिक विद्वानों ने कहा है की इस्लामिक सर्कार ही जिहाद की मंज़ूरी दे सकती है। उनकी दलील है की अल-कायदा, इस्लामिक-स्टेट और तालिबान जैसे संघठनो द्वारा किया जाने वाला तथाकथित जिहाद, जिहाद नहीं आतंकवाद है। Read विज्ञान और मान्यताएं एक ही पक्षी दो पंख
जिहाद के ये दोनों अर्थ मान्य है, लेकिन मुस्लमान मुख्य रूप से सैन्य संघर्ष को ही जिहाद मानते आये है। ऐसे में जिहाद केवल सैन्य लड़ाई है तो फिर लव-जिहाद क्या है?
ऐसे में यही कहा जा सकता है की 'लव-जिहाद' वास्तव में एक गलत अभिव्यक्ति है, क्योकि यह जिहाद के उप्पर बताई गई दोनों परिभाषाओ के खांचे में कही नहीं बैठती। लिहाज़ा इसका इस्तेमाल करना पूरी तरह गलत है, लेकिन फिर भी भारत और कई दूसरे देशो में इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
मुस्लिम पुरुष से शादी करने के लिए हिन्दू और ईसाई युवतियों के धर्मांतरण करने को ही लव-जिहाद का नाम दिया जा रहा है। हिन्दू और ईसाई पुरुष इसमें शामिल नहीं है, पर कुछ मामले ऐसे भी सामने आये है जिनमे मुस्लिम युवतियों से शादी करने के लिए गैर-मुस्लिम पुरुषो को भी इस्लाम अपनाना पड़ा। Read Also: मानसिक विकार को जन्म दे रहा सेल्फी का क्रेज
इसका अर्थ यह है कि किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के लिए मुस्लिम युवक-युवतिया उसका धर्म नहीं अपनाते, अर्थात यह इकहरा रास्ता है जिसकी राह केवल इस्लाम में धर्मांतरण के रूप में खुलती है। हालांकि इसमें कुछ अपवाद (Exceptions) भी है, जैसे युगल समाजवादी (धर्म न मैंने वाले) , नास्तिक, सेक्युलर (non-religious) व्यक्ति जो शादी के लिए धर्मांतरण नहीं करते। dharamantaran की इस एकतरफा राह को इस्लामिक धर्मगुरुओ द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता है। ऐसे में ये मौलवी ही है जो इस्लामिक लोगो के प्रति हमारे क्रूर रवैये के लिए ज़िम्मेदार है।
मैं मुस्लिम भाइयो और बहनो से ये ही कहूंगा की अगर वे किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति से असल मायने में प्यार करते है तो उन्हें धर्मान्तरण के लिए बाध्य न करे। अगर आप उनको इस्लाम अपनाने के लिए बाध्य कर रहे है तो फिर ये प्यार नहीं है। इस तरह आप भी उन मौलवियों की तरह ही हो जो गैर-मुसलमानो को मुस्लमान बनाने के अभियान पर निकला है।
विवाह के लिए हिन्दुओ को इस्लाम अपनाने में कोई ऐतराज़ नहीं होता अगर इस्लामिक लोगो को हिन्दू धर्म अपनाने में कोई ऐतराज़ नहीं होता। मैं सभी युवाओं से अनुरोध करता हूँ की वो जाती और धर्म से ऊपर उठ कर सोचे। दूसरे धर्म और जाति के लोगो से प्रेम करो मगर उसके लिए अपना धर्म न बदलो। Read Also: प्राचीन धरोहरों का संरक्षण एक प्रश्न
प्रेम एक पवित्र और अनूठी अनुभूति है। जब हम किसी के प्रेम करते है तो यह इंसान के तौर पर हमारा दर्ज़ा बढ़ा देता है। यह हमारे जीवन को सार्थक बना देता है। आप विवाह के लिए किसी दूसरे धर्म को अपनाते हो तो यह प्रेम नहीं है बल्कि अपनी आत्मा को उस धरम का दस बनाने जैसा है। हिन्दू भाइयो और बहनो से अनुरोध है की वो ऐसे प्रेमजाल में न फसे जहाँ विवाह के लिए धरम परिवर्तन करना पड़े।
भारत में पिछड़े वर्ग की संख्या अत्यधिक है जिनके पास रोटी, कपडे और मकान की उचित व्यवस्ता का अभाव है, साफ़ पेयजल तक उपलब्ध नहीं है। यही हमे वास्तव में उन्हें गरीबी से बाहर निकालना है तो भारतीय सभय्ता और सामाजिक तानेबाने को सहेज कर रखना होगा। भारतीय गणतंत्र के कुछ ऐसे मूल्य है जिनके साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
लव-जिहाद का अर्थ है की किसी मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए गैर-मुस्लिम युवतियों को इस्लाम अपनाना होगा। हाल ही में पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम मोहम्मद मजदूर अफरजुल की राजस्थानी हुई खौफनाक हत्या ने 'लव-जिहाद' को एक व्यापक स्तर पर चर्चा में लाने का काम किया। राजस्थान के राजसमंद जिले में शंभू लाल रैगर ने न केवल अराफजूल की हत्या की बल्कि उसके शरीर को आग की भेंट चढ़ा दिया, क्योंकि उसकी नजर में अराफजूल 'लव-जिहाद' में लगा हुआ था। केरल की लड़की हदिया के मामले को भी लव-जिहाद की मिसाल बताया जा रहा है, जहा उसे मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए धर्मांतरण करना पड़ा था। Read Love-Jihad on Wikipedia
पिछले कुछ महीनों में इस मामले की इतनी घटनाये सामने आयी की, 'लव-जिहाद' का मामला सुप्रीम-कोर्ट तक पहुंच गया। अब तमाम गैर-मुस्लिम परिवार इस मामले को लेकर चिंतित हुए जा रहे है। ऐसे में कुछ अहम् सवाल खड़े होते है,की क्या लव जिहाद विस्तव में एक सही अभी व्यक्ति है ? क्या वह भारतीय सभ्यता में इस तरह बेदखली कर सकता है, क्या यह भरिया समाज का तना बना बिगड़ सकता है?
लव-जिहाद का ईजाद केरल की धरती पर, ईसाई समूह ने किया जो मुस्लिम युवको से शादी करने के लिए इच्छुक युवतियों से चिंतित थे। अभी तक हमने जिहाद के दो ही रूप देखे थे। जिहाद का अर्थ मुस्लमान उस प्रतिक्रिया के रूप में लेते थे जब कोई व्यक्ति भ्रस्ट और बुरी शक्ति के प्रभाव से अपनी रूह को पाक करने के लिए निजी स्तर पर संघर्ष करता था। कुछ मुस्लमान, गैर-मुस्लिमो के खिलाफ धर्मयुद्ध को भी जिहाद का नाम दे देते थे। कुछ इस्लामिक विद्वानों ने कहा है की इस्लामिक सर्कार ही जिहाद की मंज़ूरी दे सकती है। उनकी दलील है की अल-कायदा, इस्लामिक-स्टेट और तालिबान जैसे संघठनो द्वारा किया जाने वाला तथाकथित जिहाद, जिहाद नहीं आतंकवाद है। Read विज्ञान और मान्यताएं एक ही पक्षी दो पंख
जिहाद के ये दोनों अर्थ मान्य है, लेकिन मुस्लमान मुख्य रूप से सैन्य संघर्ष को ही जिहाद मानते आये है। ऐसे में जिहाद केवल सैन्य लड़ाई है तो फिर लव-जिहाद क्या है?
ऐसे में यही कहा जा सकता है की 'लव-जिहाद' वास्तव में एक गलत अभिव्यक्ति है, क्योकि यह जिहाद के उप्पर बताई गई दोनों परिभाषाओ के खांचे में कही नहीं बैठती। लिहाज़ा इसका इस्तेमाल करना पूरी तरह गलत है, लेकिन फिर भी भारत और कई दूसरे देशो में इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
मुस्लिम पुरुष से शादी करने के लिए हिन्दू और ईसाई युवतियों के धर्मांतरण करने को ही लव-जिहाद का नाम दिया जा रहा है। हिन्दू और ईसाई पुरुष इसमें शामिल नहीं है, पर कुछ मामले ऐसे भी सामने आये है जिनमे मुस्लिम युवतियों से शादी करने के लिए गैर-मुस्लिम पुरुषो को भी इस्लाम अपनाना पड़ा। Read Also: मानसिक विकार को जन्म दे रहा सेल्फी का क्रेज
इसका अर्थ यह है कि किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के लिए मुस्लिम युवक-युवतिया उसका धर्म नहीं अपनाते, अर्थात यह इकहरा रास्ता है जिसकी राह केवल इस्लाम में धर्मांतरण के रूप में खुलती है। हालांकि इसमें कुछ अपवाद (Exceptions) भी है, जैसे युगल समाजवादी (धर्म न मैंने वाले) , नास्तिक, सेक्युलर (non-religious) व्यक्ति जो शादी के लिए धर्मांतरण नहीं करते। dharamantaran की इस एकतरफा राह को इस्लामिक धर्मगुरुओ द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता है। ऐसे में ये मौलवी ही है जो इस्लामिक लोगो के प्रति हमारे क्रूर रवैये के लिए ज़िम्मेदार है।
मैं मुस्लिम भाइयो और बहनो से ये ही कहूंगा की अगर वे किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति से असल मायने में प्यार करते है तो उन्हें धर्मान्तरण के लिए बाध्य न करे। अगर आप उनको इस्लाम अपनाने के लिए बाध्य कर रहे है तो फिर ये प्यार नहीं है। इस तरह आप भी उन मौलवियों की तरह ही हो जो गैर-मुसलमानो को मुस्लमान बनाने के अभियान पर निकला है।
विवाह के लिए हिन्दुओ को इस्लाम अपनाने में कोई ऐतराज़ नहीं होता अगर इस्लामिक लोगो को हिन्दू धर्म अपनाने में कोई ऐतराज़ नहीं होता। मैं सभी युवाओं से अनुरोध करता हूँ की वो जाती और धर्म से ऊपर उठ कर सोचे। दूसरे धर्म और जाति के लोगो से प्रेम करो मगर उसके लिए अपना धर्म न बदलो। Read Also: प्राचीन धरोहरों का संरक्षण एक प्रश्न
प्रेम एक पवित्र और अनूठी अनुभूति है। जब हम किसी के प्रेम करते है तो यह इंसान के तौर पर हमारा दर्ज़ा बढ़ा देता है। यह हमारे जीवन को सार्थक बना देता है। आप विवाह के लिए किसी दूसरे धर्म को अपनाते हो तो यह प्रेम नहीं है बल्कि अपनी आत्मा को उस धरम का दस बनाने जैसा है। हिन्दू भाइयो और बहनो से अनुरोध है की वो ऐसे प्रेमजाल में न फसे जहाँ विवाह के लिए धरम परिवर्तन करना पड़े।
भारत में पिछड़े वर्ग की संख्या अत्यधिक है जिनके पास रोटी, कपडे और मकान की उचित व्यवस्ता का अभाव है, साफ़ पेयजल तक उपलब्ध नहीं है। यही हमे वास्तव में उन्हें गरीबी से बाहर निकालना है तो भारतीय सभय्ता और सामाजिक तानेबाने को सहेज कर रखना होगा। भारतीय गणतंत्र के कुछ ऐसे मूल्य है जिनके साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
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